Ekadashi Kab Hai: सावन मास की पुत्रदा एकादशी कब है?

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Ekadashi Kab Hai

Savan Maas Ki Ekadashi Kab Hai: पुत्रदा एकादशी की विशेष मान्यता होती है। ये साल में दो बार आती है एक बार पौष मास में और दूसरा सावन माह ऐसा माना जाता है कि इससे संतान की प्राप्ति होती है।

Ekadashi Kab Hai: सावन मास की पुत्रदा एकादशी कब है?

आप मूत्र दायक आज से एक साल में दो बार आती है एक बार पौष मास में और दूसरा सावन माह में। सावन महीने की पुत्रदा एकादशी बहुत खास होती है यह सावन माह के शुक्ल पक्ष में आती है। इस बार सावन माह की एकादशी 15 अगस्त को ही लग जाएगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार व्रत 16 अगस्त को रखा जाएगा। जिसके कारण इस साल एकादशी 16 अगस्त को है। पुत्रदा एकादशी को रखने से पापों से मुक्ति, सभी प्रकार के कष्ट दूर होना, संतान की प्राप्ति, बच्चों की तरक्की इत्यादि का लाभ मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी के दिन अपने घर कुछ चीजों का लाना काफी ज्यादा लाभप्रद होता है।

सावन पुत्रदा एकादशी 2024 का मुहूर्त और पारण

  • एकादशी शुरू होने का समय: 15 अगस्त, 2024 (10:26 am)
  • एकादशी समापन का समय: 16 अगस्त, 2024 (9:39 am)
  • पूजा का समय: 16 अगस्त, 2024 (5:51 am से 10:47 am)
  • पारण का समय: 17 अगस्त, 2024 (5:51 am से 08:05 am)

पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा कैसे करें

  • एकादशी का पूजा करने के लिए ब्रह्मा मुहूर्त में उठ कर स्नान करें
  • भगवान विष्णु को ध्यान में रखते हुए व्रत का संकल्प लें
  • पूजा स्थल पर पीला वस्त्र का बिछावन कर भगवान विष्णु की मूर्ति/तस्वीर रखें
  • भगवान की पीला पुष्प और पेड़ा चढ़ाएं
  • शाम में भगवान के सामने दीपक जलाएं और पूजा करें
  • एकादशी का कथा और आरती गाकर पूजा का समापन करें

भगवान विष्णु की आरती: आरती ओम जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

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